Our Trust

Introduction About Trust

जनहित एबं लोक कल्याण की भावना से वैशाख सुदी तीज "अक्षय तृतीया" त्तदुसार 9 मई 1988 के दिन "श्री द्वारका सेवा निधि" (ट्रस्ट) की स्थापना स्व . श्री महावीर प्रसाद जोशी पुत्र स्व . वैद्य पं. ब्रजमोहन जोशी के द्वारा की गई । साहिन्यानुरागी श्री महावीर प्रसाद जोशी को उनकी पुस्तक द्वारका के लिए वर्ष 1986 का साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था । पुरस्कार के साथ सम्मान स्वरूप मिली राशि से ही ट्रस्ट की स्थापना हुई तथा यह उद्देश्य रखा गया कि प्रतिवर्ष साहित्य सेवियों को इस ट्रस्ट द्वारा सम्मानित और प्रोत्साहित किया जायेगा

इस ट्रस्ट की स्थापना जोशी जी की कर्मस्थली राजस्थान राज्य के ग्राम सादुलपुर जिला चूरू में हुई थी । संस्था के पथ प्रणेता है प्रेरणापुंज साहित्यसर्जक श्री जोशी जी के कर कमलों से रोधित यही पौधा " श्री द्वास्का सेवा निधि" समर्पित कुशल प्रबंधन से संरक्षित एव परिवर्धित होता हुआ आज अपने 26 वे पुष्प पलुवन से साहित्य जगत को सुगंधित करता हुआ- "उत्कृष्ट साहित्य सृजन व लोक कल्याण" के अपने मौलिक लक्ष्य की ओर निरंतर अग्रसर हैं ।

साहित्य सेवी श्री जोशी जी का पाणिग्रहण संस्कार 15 वर्ष को आयु में मुंबई में निवास कर रहे सुविख्यात वैध श्री सागरमलजी को पुत्री जावित्री देवी से सन् 1929 में हुआ, दोनों में आदर्श दाम्पत्य प्रेम था जो संस्कारी परिवारों में स्वाभाविक हैं । उच्च संस्कारों से पोषित जोशी जी के सभी सप्तः पुत्र और एक पुत्री शालीन, सुसंस्कृत, सुशिक्षित और समाज में पूर्णत : सम्मानित जीवनयापन कर रहे है ।

बहुभाषाविद पं. श्री महावीर प्रसाद जोशी 14 फरवरी 2002 को निरन्तर विष्णु स्मरण करने हुए ब्रह्मलीन हो गए । उनका यश: शरीर आज भी अमर है । उन्होंने प्रारम्भ से ही वेदकीय कार्य में व्यस्त रहते हुए भी ग्रन्थ लेखन, काव्य लेखन और वेदों, उपनिषिदों, पुराणों, महाकाव्यो आदि के काव्यानुवाद का व्रत, रात- दिन सरस्वती की सेवा में निरत रहते हुए निभाया था । इसके साथ ही उन्होंने अपने जीवनकाल में ही अनेक साहित्य सेवी तथा समाज सेवी संस्थाओं की स्थापना की जिनमें "श्री द्वारका सेवा निधि" एवं "शारदा सदन पुस्तकालय" प्रमुख है ।

श्री जोशी जी के स्वर्गारोहण के उपरांत उनके सुपुत्र डॉ. राजेन्द्र कुमार जोशी एवं उनकी पुत्रवधू श्रीमती उर्मुला जोशी जो दीर्घावधि से सुदूर स्विट्ज़रलैंड में कार्यरत है , ने विशेष रूचि लेकर ट्रस्ट को सदैव ही सुचारू रूप से संचालित किया है । "बेहतर शिक्षा ही उत्कृष्ट साहित्य सूजन का मूल आधार है" इस सिद्धान्त क्रो मानते हुए एवं ट्रस्ट के अन्य उद्धेश्यों की पूर्ति हेतु डॉ. राजेन्द्र कुमार जोशी एवं श्रीमती उर्मुला जोशी ने एक स्वतन्त्र फाउंडेशन की भी स्थापना की है । विदेश में रहते हुए भी आप दोनों द्वारा ट्रस्ट का अति उतप्रेरक व ऊर्जावान संचालन के परिणाम स्वरूप ही ट्रस्ट साहित्यकारों का अनवरत उत्साहवर्धन करते हुए इस वर्ष अपना है 27 वां सम्मान समारोह मना रहा है ।